Home Loan Rules : होम लोन लेना आजकल आम बात हो गई है। लेकिन 15-30 साल तक हर महीने मोटी EMI देना किसी के लिए भी टेंशन का कारण बन सकता है। कई लोग इस बोझ से जल्दी छुटकारा पाने के लिए लोन प्रीपेमेंट करने की सोचते हैं। लेकिन क्या ये कदम हर किसी के लिए सही होता है? HDFC बैंक ने इस पर कुछ अहम सलाह दी है, जो आपको फैसला लेने में मदद कर सकती है।
ज़रूरी खर्चों के लिए पैसे बचा कर रखें
प्रीपेमेंट करने से पहले ये ज़रूर सोचें कि आपके पास शादी, हेल्थ इमरजेंसी, बच्चों की पढ़ाई, ट्रैवल या किसी इमरजेंसी के लिए अलग से फंड है या नहीं। अगर आपने सारा पैसा लोन में झोंक दिया और अचानक जरूरत पड़ी, तो फिर से कर्ज लेना पड़ेगा – जो कि आपकी फाइनेंशियल हालत और बिगाड़ सकता है।
निवेश से बेहतर रिटर्न मिल रहा है? तो प्रीपेमेंट रुकवा दें
अगर आप किसी ऐसे निवेश में पैसे लगा सकते हैं जो आपके लोन के ब्याज से ज्यादा रिटर्न दे रहा है – जैसे SIP, म्यूचुअल फंड या स्टॉक्स – तो वहां पैसे लगाना ज्यादा समझदारी होगी। लॉन्ग टर्म में ये इन्वेस्टमेंट आपको ज्यादा फायदे में रखेगा।
लोन का स्टेज भी देखना जरूरी है
लोन लिए अभी कुछ ही साल हुए हैं? तो EMI का बड़ा हिस्सा ब्याज में जा रहा होगा। ऐसे में प्रीपेमेंट करने से अच्छी खासी बचत हो सकती है। लेकिन अगर आप लोन की मिड या एंड स्टेज में हैं, तो फायदा उतना खास नहीं मिलेगा क्योंकि उस समय EMI का ज्यादातर हिस्सा प्रिंसिपल होता है।
पहले चुकाएं वो लोन जिनका ब्याज ज्यादा है
क्रेडिट कार्ड का पेमेंट पेंडिंग है या पर्सनल लोन लिए हुए हैं? तो पहले उन्हें चुकाना ज्यादा जरूरी है। होम लोन का ब्याज आमतौर पर कम होता है, जबकि क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन का ब्याज आसमान छूता है।
टैक्स बेनिफिट का नुकसान न हो जाए
होम लोन पर इनकम टैक्स में अच्छी छूट मिलती है – सालाना 1.5 लाख तक प्रिंसिपल और 2 लाख तक ब्याज पर। अगर आप पूरा लोन प्रीपे कर देते हैं, तो ये फायदे खत्म हो सकते हैं। आंशिक प्रीपेमेंट में भी ये छूट कम हो जाती है। इसलिए टैक्स सेविंग के नजरिए से भी सोच-विचार जरूर करें।
प्रीपेमेंट चार्ज भी चेक कर लें
अगर आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है, तो ज्यादा टेंशन की बात नहीं – आमतौर पर कोई चार्ज नहीं लगता। लेकिन फिक्स्ड रेट वाले लोन में बैंक प्रीपेमेंट के नाम पर फीस वसूल सकते हैं। इसलिए पहले शर्तें जरूर चेक करें।
प्रीपेमेंट करना बुरा आइडिया नहीं है – लेकिन बिना प्लानिंग किए किया गया फैसला नुकसानदायक भी हो सकता है। HDFC की सलाह मानें और सोच-समझकर कदम उठाएं, ताकि EMI का बोझ भी कम हो और आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग भी स्ट्रॉन्ग बने।