HRA Update News – सातवें वेतन आयोग के बाद अब सभी की निगाहें 8वें वेतन आयोग पर टिकी हैं। जहां एक तरफ कर्मचारी सैलरी में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सभी ये भी जानना चाहते हैं कि HRA यानी हाउस रेंट अलाउंस पर क्या असर पड़ेगा। क्योंकि जब भी नया वेतन आयोग आता है, सिर्फ बेसिक सैलरी ही नहीं, भत्तों में भी बदलाव आता है – और HRA सबसे बड़ा फैक्टर होता है जो सैलरी को सीधा बढ़ाता है।
HRA होता क्या है और किस हिसाब से तय होता है?
सरकारी कर्मचारियों को जो मकान किराए के लिए भत्ता मिलता है, उसे ही HRA कहते हैं। इसकी दरें शहरों की कैटेगरी के हिसाब से तय होती हैं – X, Y और Z। X कैटेगरी में दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहर आते हैं, जहां HRA 30% होता है। Y में मध्यम शहर जैसे भोपाल, जयपुर आते हैं, यहां 20% मिलता है। और Z यानी छोटे शहरों में 10% का रेट लागू होता है। ये दरें 7वें वेतन आयोग के अनुसार तय की गई थीं।
पिछले वेतन आयोग में क्या हुआ था?
7वें वेतन आयोग के शुरू होने पर HRA की दरों में पहले थोड़ी कटौती की गई थी – X, Y, Z के लिए 24%, 16% और 8% कर दिए गए थे। लेकिन जब DA यानी महंगाई भत्ता 50% तक पहुंच गया, तब इन्हें फिर से 30%, 20% और 10% कर दिया गया। इसका मतलब ये है कि HRA सीधा महंगाई भत्ते और बेसिक सैलरी से जुड़ा होता है।
8वें वेतन आयोग में क्या हो सकता है?
मीडिया रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स की मानें तो 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को 1.92 तक बढ़ाया जा सकता है। इसका मतलब है कि जो भी आपकी मौजूदा बेसिक सैलरी है, उसे 1.92 से गुणा कर नया बेसिक तय किया जाएगा। अब क्योंकि HRA बेसिक का ही एक हिस्सा होता है, तो HRA की रकम भी उसी के हिसाब से बढ़ जाएगी। हालांकि, ये भी संभव है कि सरकार HRA की परसेंट दरों को भी रीसेट करे – यानी 30%, 20%, 10% में थोड़ा बदलाव करे।
एक सिंपल उदाहरण से समझिए
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी अभी 30,000 रुपये है और आप X कैटेगरी शहर में हैं, तो अभी आपको 9,000 रुपये HRA मिल रहा है। अगर 8वें वेतन आयोग में आपकी बेसिक सैलरी 57,600 रुपये (30,000 × 1.92) हो गई और HRA का रेट 30% ही रहा, तो आपका नया HRA बन जाएगा 17,280 रुपये – यानी करीब 8,000 रुपये का फायदा!
HRA में बदलाव क्यों किया जाता है?
HRA की दरें बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है – बढ़ती महंगाई और किराया। शहरों में रहना दिन-ब-दिन महंगा हो रहा है। ऐसे में HRA में बढ़ोतरी जरूरी हो जाती है ताकि कर्मचारी अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। साथ ही, जब बेसिक सैलरी बढ़ती है, तो उसके साथ HRA को रीअलाइन करना भी जरूरी हो जाता है।
शहरों की कैटेगरी में बदलाव का भी असर
सरकार समय-समय पर शहरों की कैटेगरी भी अपडेट करती है। अगर कोई शहर Y से X कैटेगरी में शिफ्ट होता है, तो वहां HRA 20% से बढ़कर 30% हो जाएगा। यानी शहर की कैटेगरी का भी सीधा असर HRA पर पड़ता है।
क्या एक्सपर्ट भी यही मानते हैं?
कई रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय है कि इस बार HRA को DA से डायरेक्ट जोड़ने की प्लानिंग की जा रही है। यानी जैसे ही DA 25%, 50% तक पहुंचेगा, HRA अपने आप बढ़ जाएगा। इससे कर्मचारियों को बार-बार रिवीजन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और हर महंगाई की लहर में उन्हें राहत मिलती रहेगी।
HRA बढ़ेगा तो फायदा क्या होगा?
HRA एक कर-मुक्त भत्ता होता है – खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए जो किराए के घर में रहते हैं और HRA के क्लेम के लिए डॉक्युमेंट जमा करते हैं। इससे न सिर्फ आपकी इन-हैंड सैलरी बढ़ती है, बल्कि टैक्स सेविंग भी होती है। साथ ही, बढ़ा हुआ HRA बढ़ती हुई लाइफस्टाइल और रेंट की जरूरतों को कवर करने में भी मदद करता है।
सैलरी ही नहीं, HRA से भी आएगी खुशखबरी
8वें वेतन आयोग में जहां बेसिक सैलरी बढ़ने की उम्मीद है, वहीं HRA में भी अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। हालांकि सबकुछ सरकार के अंतिम फैसले पर टिका है, लेकिन अगर फिटमेंट फैक्टर 1.92 हो गया और HRA का रेट बरकरार रहा – तो कर्मचारियों को बड़ा फायदा मिलेगा।
Disclaimer:
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारियां विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय पर आधारित हैं। अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों और पैनल के अनुमोदन पर निर्भर करेगा। कृपया किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक घोषणाओं या अधिसूचनाओं का इंतजार करें।