Rent Increase Limit – आजकल बड़े शहरों में किराए पर मकान लेना आम बात हो गई है। नौकरी, पढ़ाई या काम के लिए लोग रोज़ हजारों मकानों में रहने आते-जाते रहते हैं। ऐसे में कई बार किराएदारों को ये परेशानी होती है कि मकान मालिक बिना बताए किराया बढ़ा देते हैं, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकान मालिक हर साल कितना किराया बढ़ा सकते हैं? और किराएदारों के क्या अधिकार होते हैं? इस बारे में समझना जरूरी है ताकि आपको बेवजह परेशान न होना पड़े।
रेंट एग्रीमेंट: किराएदारी का कानूनी दस्तावेज
जब आप किसी मकान में किराए पर रहते हैं तो सबसे जरूरी होता है रेंट एग्रीमेंट, यानी किरायेदारी का वो कानूनी दस्तावेज जो मकान मालिक और किराएदार दोनों के हक और जिम्मेदारी तय करता है। ये दस्तावेज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 के तहत भी मान्य होता है। अगर आप बिना रेंट एग्रीमेंट के मकान में रहते हैं तो भविष्य में आपको कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती, इसलिए ये बहुत जरूरी है कि आपका एग्रीमेंट लिखित और रजिस्टर्ड हो।
11 महीने का एग्रीमेंट क्यों होता है आम?
अधिकतर मकान मालिक 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं क्योंकि इसके कई फायदे होते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि 11 महीने के एग्रीमेंट को रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे स्टांप ड्यूटी भी कम लगती है। मकान मालिक को भी फायदा होता है कि वो हर साल नए सिरे से किराया तय कर सकता है। इसलिए ये अवधि ज्यादातर पसंद की जाती है। लेकिन अगर आप लंबे समय तक रहना चाहते हैं, तो आप 5 साल तक का भी एग्रीमेंट कर सकते हैं, जो रजिस्ट्रेशन के बाद कानूनी रूप से मजबूत होता है और आपको किराया बढ़ोतरी और मकान खाली करवाने से सुरक्षा देता है।
मकान मालिक कितनी बढ़ोतरी कर सकते हैं किराए में?
यह नियम हर राज्य में अलग-अलग हो सकता है, लेकिन महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट 1999 के अनुसार मकान मालिक हर साल अधिकतम 4% तक किराया बढ़ा सकते हैं। इसका मतलब है कि अगर आपका किराया 10,000 रुपये है, तो अगले साल वह 10,400 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता। लेकिन अगर मकान में कोई नई सुविधा जोड़ी जाती है, जैसे फर्नीचर, एसी या गीजर, तो मकान मालिक किराया 25% तक भी बढ़ा सकते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि किराया बढ़ाने की शर्तें आपके रेंट एग्रीमेंट में साफ लिखी हों।
किराएदारों के अधिकार और जिम्मेदारियां
किराएदारों को बिजली, पानी और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलने चाहिए। मकान मालिक इन सुविधाओं को देने से मना नहीं कर सकता। अगर ऐसा होता है तो किराएदार कानूनी कार्रवाई कर सकता है। किराएदार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किराया, बढ़ोतरी की शर्तें, नोटिस पीरियड, सिक्योरिटी राशि आदि सबकुछ रेंट एग्रीमेंट में स्पष्ट लिखा हो। मकान का निरीक्षण पहले कर लेना चाहिए ताकि कोई खराबी हो तो उसे एग्रीमेंट में दर्ज करवाया जा सके। किराया देते समय हर बार रसीद लेना भी जरूरी है।
लंबे समय तक किराए पर रहने के लिए 5 साल का एग्रीमेंट
अगर आप किसी मकान में लंबे समय तक रहना चाहते हैं तो 5 साल तक का रेंट एग्रीमेंट भी कर सकते हैं। इसके लिए रजिस्ट्रार ऑफिस जाकर रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। इससे आपको किराया बढ़ोतरी और मकान खाली करने के नोटिस से सुरक्षा मिलती है। मकान मालिक को भी अपने अधिकार मिलते हैं, लेकिन वे भी एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार ही कार्रवाई कर सकते हैं।
संतुलित और पारदर्शी रिश्ता जरूरी
मकान मालिक और किराएदार के बीच पारदर्शिता और संतुलन होना जरूरी है। मकान मालिक को अपनी प्रॉपर्टी से लाभ कमाने का अधिकार है, वहीं किराएदार को सम्मानजनक और सुरक्षित रहने का अधिकार। इसलिए रेंट एग्रीमेंट में किराया बढ़ोतरी और सुविधाओं की स्पष्ट शर्तें होनी चाहिए ताकि विवाद से बचा जा सके।
Disclaimer
यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। किरायेदारी से जुड़े नियम और कानून राज्यों के हिसाब से अलग हो सकते हैं। किसी भी कानूनी मामले में विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित होगा।