Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब तक ये माना जाता था कि बेटी का पिता की प्रॉपर्टी पर उतना ही हक होता है जितना बेटे का। लेकिन एक तलाक के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर बेटी अपने पिता से रिश्ता नहीं रखना चाहती, तो उसे उनकी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहेगा।
क्या है मामला?
ये पूरा मामला पति-पत्नी के तलाक से जुड़ा है। पति ने तलाक के लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें बताया गया कि उसकी पत्नी अपने माता-पिता के तलाक के बाद से अपने भाई के साथ रह रही है और उसने अपने पिता से किसी भी तरह का संबंध रखने से इनकार कर दिया है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी और साथ ही ये ऐतिहासिक टिप्पणी की कि अगर कोई बेटी अपने पिता से रिश्ता नहीं रखना चाहती, तो उसे उनकी संपत्ति में अधिकार मांगने का भी हक नहीं है।
खर्च कौन उठाएगा?
कोर्ट ने यह भी कहा कि पति अपनी पत्नी और बेटी की शिक्षा व जरूरतों का खर्च पहले से ही उठा रहा है। वहीं, महिला अपने पिता से कोई भी मदद या खर्च मांगने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि उसने खुद पिता से दूरी बना ली है। इसलिए, वह कानूनी रूप से भी पिता की प्रॉपर्टी, शादी या एजुकेशन के खर्च का दावा नहीं कर सकती।
एकमुश्त राशि की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में ये भी कहा कि अगर पति सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहता है तो वह पत्नी को एकमुश्त 10 लाख रुपये दे सकता है। यह राशि बेटी की मदद के लिए भी होगी लेकिन कोर्ट ने यह साफ किया कि यह रकम मां के पास ही रहेगी क्योंकि वही बेटी की देखभाल कर रही है।
तीन स्तरों पर हुआ था मामला
- सबसे पहले पति ने जिला अदालत में तलाक की अर्जी दी, जिसे मंजूर कर लिया गया।
- पत्नी ने फिर हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती दी, जहां उसकी अर्जी को खारिज कर दिया गया।
- आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां गहराई से जांच के बाद पति को तलाक की अनुमति दे दी गई और बेटी के प्रॉपर्टी अधिकार पर बड़ा बयान आया।
क्या यह फैसला सभी पर लागू होगा?
यह फैसला एक विशेष केस से जुड़ा है, लेकिन इसका कानूनी असर बाकी मामलों पर भी पड़ सकता है। यह साफ संकेत है कि सिर्फ जन्म के आधार पर ही संपत्ति में अधिकार नहीं मिलेगा, बल्कि रिश्तों की स्थिति और व्यवहार भी अब मायने रखेंगे।